मां पर कविता

 श्री गणेशाय नमः

 मां पर कविता सुनिए

मां तेरी ममता कहीं किसी में भी नहीं मिलेगी

यह ममता इतनी निर्मल इतनी प!वन 

मां तेरी ममता इतनी नारी जो ईश्वर पर भी है भारी

 मां तेरी याद सब पर भारी है 

जो रह रहा कर तेरी याद मुझे तड़पता  है 

दिल को बहुत ही समझता हूं

 नादान दिल   समझ नहीं पता है 

है मां मेरी यादों में ऐसे बसी हो जो भूल कर भी भूल नहीं पाए

 जो रह रहा करते याद मुझे तड़पती है यादों के झरोखे से दिखता हूं एक बार में बीमा बिस्तर पर पड़ा था तुम देवी मां

 को मनाने गई थी जैसे ही बिस्तर छोड़ फिर दीपक जलाने गई थी दिवाली पर तूने झगड़ कर पटाखे मांगे थे तूने होली में नए

 कपड़े झगड़ कर सिले थे तूने इसके बदले में तुझे क्या दिया जो रहकर तेरी याद तड़पता है लोगों से सुना है जाने वाले लोग

 बादलों के पार चले जाते हैं काश ऐसा होता मां बादलों में छुपकर मुझे देख पाती लेकिन मैं जानता हूं मां तुझे देखा नहीं

 पाऊंगा यही सोचकर आंखें मेरी भी जाती है जो रह कर तेरी याद मुझे तड़पति है मां तेरी ममता कहीं किसी में भी नहीं मिलेगी

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