How does it affect your mental health ?











मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरूरी है?
मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण -
मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण - Mental healthsymptoms in hindi
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर कैसे बनाए रखें - Home Remedies to compup up with Mental Health in Hindi
क्या खाना चाहिए?
क्या नहीं खाना चाहिए





यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?


मानसिक रूप से स्वस्थ्य हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य  होगा अपने जीवन से जुड़े सभी अंगों को सही तरह से ठीक से कर पाएगा।मानसिक स्वास्थ्य से हमारे दैनिक जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है। मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं 

 रहने के कारण चिड़चिड़ापन महसूस होता है, इसलिए इस प्रभाव से बचना जरूरी है। किसी भी व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्थिति से उसकी मनोवैज्ञानिक (इमोशनल), मनोवैज्ञानिक  (साइकोलॉजिकल) और सामाजिक (सोशल) स्थिति का पता चलता है। मानसिक रूप से स्वास्थ्य  भक्ति में देखने, इशारा करने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता पाई जाती है। इसका असर है आपके जीवन पर पड़ने वाले फैसले और भक्ति के तनाव पर पड़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव जीवन के हर चरण जैसे - बचपन, नाबालिग, वयस्कता और बुढ़ापे में  होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को  अपनी ताकत का पता चलता है। इस स्थिति में व्यक्तिपरक के साथ सकारात्मक तरीके से बातचीत की जा सकती है। साथ ही तनाव की समस्या से क्षमता की क्षमता भी है।

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मानसिक रूप से स्वास्थ्य भक्ति में देखने, इशारा करने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता पाई जाती है  । मानसिक रूप से स्वास्थ्य विकास अपने जीवन के सभी कामो को सही ढंग से ठीक से कर पायेगा। तनाव से बच सकते हैं।

 लोगों से अच्छे संबंध बनाये रखें

सामाजिक कार्य में योगदान देना

प्रोडक्टिव काम करने के लिए

अपनी क्षमता को प्रकट करने में

चिंता (चिंता)- चिंता एक ऐसी समस्या है जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है जिससे  हमारे जीवन में चिंता और भय पैदा हो सकता है। अवसाद (डिप्रेशन)- उसमें अवसादग्रस्तता की समस्या काफी दुख, अवसाद, अवसाद या अवसाद  हो सकती है। बाइपोलर डिसऑर्डर – बाइपोलर डिसऑर्डर को सबसे पहले मानसिक अवसाद कहा जाता था।

इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति मेनिया (सामान्य रूप से भावना प्रकट होना) और  अवसाद से प्रभावित होता है। ईटिंग डिसऑर्डर- इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अधिक या कम खाते की आवश्यकता होती है। एडिक्टिव डिसऑर्डर - यह मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति को शराब या नशे की लत जैसी लत लग जाती है

 लेट लग सकता है। इस लता के कारण व्यक्ति की जान को भी खतरा हो जाता है। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर – इस स्थिति में व्यक्ति की पर्सनैलिटी डिसऑर्डर में पूरी तरह से बदलाव  पाया जाता है। इस व्यक्ति के विचार-समझने, खाने-पीने और सोने के समय में भी बदलाव होता है,  जिसके प्रभाव वाले व्यक्ति के संबंध पर भी विचार किया जा सकता है। इस व्यक्ति को तनाव होना भी काफी आम बात है।

मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण कुछ इस तरह हो सकते हैं-

खाने या सोने की आदत में बदलाव

पसंदीदा लोगों और समूहों से दूरी बनाना

ऊर्जा हीन या लो ऊर्जा का अहसास होना

सुन्न महसूस करना जैसे कि कुछ भी कहना नहीं है

अजीब सा दर्द महसूस होना

निराश्रय या निराश महसूस करना

धूम्रपान, शराब और शराब का उपयोग करना

कन्फ्यूज्ड होना, नीबी को भूल जाना और गुस्सा आना

चिंता, चिंता या घबराहट महसूस होना

मूड फ़ाट्स के कारण रिश्ते में डूबना

दिमाग़ में बार-बार उन यादों का आना, भूलने की चाहत को शामिल करना

ऐसी आवाजें सिद्धांत और बातें पर विश्वास करना जो सच नहीं हैं

खुद को या कलाकारों को नुक्सान वास्तुशिल्प की सोच

दैनिक कार्य को ठीक से न कर पाना

परिवार में पहले किसी को मानसिक समस्या होना

तनाव और बचपन में हुई दोस्ती की वजह

मस्तिष्क में रासायनिक रसायन (केमिकल इम्बेलेंस)

मस्तिष्क की चोट (ब्रेन इंजरी)

गर्भावस्था के दौरान वायरस और जेल में बंद लोगों के संपर्क में आना

शराब और शराब का उपयोग

कैंसर जैसी गंभीर समस्या होना।

अकेलापन महसूस होना

1. व्यायाम (एक्सरसाइज)- हमे प्रतिदिन एक्सर्साइज़ , योगा और हैल्थ नॉलेज लेना चाहिए जिससे की

 हमारा शरीर सही से कार्य कर सके । व्यायाम करने से  तनाव और अवसाद कम होता है ,इससे

 मानसिक स्वास्थ्य सही रहता है।

मेडिटेशन- प्रतिदिन  मेडिटेशन करने से   हमारा ध्यान अकाग्र होता है, इससे मन शांत हो सकता है।

3. रिलैक्सेशन तकनीक- इसमे शरीर को आराम को आराम दिया जाता है ।प्रतिदिन घर और ऑफिस

 के कार्यो से हमारा मन और शरीर थक जाता है। समय के अनुसार आराम करने से शरीर और मन

 दोनों सही तरह से कार्य को कर पाएंगे।

लिखना (राइटिंग)- यह गुड हैबिट आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर (improve)कर सकती है ,इसमे

 आप जिस विषय (सब्जेक्ट) मे knowledge है लिख सकते है, इससे मन मे हल्का महसूस होगा।

5. टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजीज- ऐसा करने से आप अपने दैनिक कामो को सही समय पर अधिक बेहतर

 कर पाएंगे , इसके लिए आप लिखिए इस टाइम पर हमे ये काम करना है ।टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी

 चिंता, अवसाद, नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ ही नकारात्मक भावनाओं से बचाने का काम कर सकता है।

6. अरोमाथेरेपी (लैवेंडर तेल)

अरोमाथेरेपी की मदद से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इस बात की पुष्टि के लिए हुए

 वैज्ञानिक रिसर्च में दिया है कि लैवेंडर का तेल कई न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क से संबंधित) विकारों के

 उपचार में प्रभावी औषधि का काम करता है। इससे चिंता, तनाव और अवसाद सभी को कम किया जा सकता है।

12. दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना- परिवार , मित्र के साथ बातचीत  

करते है जिससे तनाव, चिंता जैसे मानसिक विकार दूर रह सकते है।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए आहार – Diet while dealing with Mental Health in Hindi

हम दिन भर जो भी खाना ले रहे है इससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है, इसलिए

 हेल्दी फूड पर ध्यान देना चाहिए ।

ओमेगा -3 फैटी एसिड से समृद्ध खाद्य पदार्थ, जैसे – मछली और मांस।

अमीनो एसिड, मिनरल्स और बी विटामिन्स से भरपूर खाद्य पदार्थ को आहार में शामिल करें। जैसे कि

 साबुत अनाज, अंडा, दही, बीन्स, हरी पत्ते वाली

सब्जियां और मकई।

सभी तरह के फल।

फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते हैं । इसके लिए केले, बीन्स और फलियां जैसे

 सब्जियां  का सेवन कर सकते हैं।

मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए फलियां, पत्तेदार सब्जी, जैतून का तेल (मोनोअनसैचुरेटेड

 फैट), दही, नट्स का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है।

फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए।

अधिक तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।

शराब और सिगरेट न पिएं।

मिठाई, कुकीज, स्नैक्स से परहेज करें।

एक शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य ब्यक्ति ही अपने जीवन के दैनिक कार्यो को सही तरह से कर पाता है , इसलिए इसको सही रखने के लिए हेल्दी फूड , एक्सर्साइज़, और योगा अपने जीवन में शामिल करे ।


हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है और किसी भी तरह से दवा या उपचार की सिफारिश नहीं करते हैं ।केवल एक डॉक्टर ही आपको सबसे अच्छी सलाह और सही उपचार योजना दे सकते है।






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