दीवाली का त्योहार (Deewali Festival 2025)



दीवाली  का त्योहार

दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख, भव्य और पावन त्यौहार है। यह पर्व केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के उन सभी देशों में मनाया जाता है जहाँ भारतीय लोग निवास करते हैं। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। ‘दीपावली’ शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है — दीप (अर्थात् दीपक या प्रकाश) और आवली (अर्थात् पंक्ति)। इस प्रकार दीपावली का अर्थ होता है “दीपों की पंक्ति”।


🌟 दीवाली का धार्मिक महत्व

दीवाली का संबंध अनेक धार्मिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। तभी से दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हुई।

जैन धर्म में भी दीपावली का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ने निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया था। वहीं, सिख धर्म में यह दिन गुरु हरगोविंद जी की जेल से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। अतः दीवाली केवल एक हिंदू त्योहार नहीं, बल्कि यह अनेक धर्मों में आध्यात्मिकता और मुक्ति का प्रतीक है।


🏠 दीवाली की तैयारियाँ

दीवाली से कई दिन पहले ही लोगों के घरों में तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। घरों की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट की जाती है ताकि माँ लक्ष्मी का स्वागत स्वच्छ वातावरण में किया जा सके। लोग अपने घरों को दीपकों, रंगीन लाइटों, मोमबत्तियों और सुंदर रंगोलियों से सजाते हैं। बाजारों में जबरदस्त रौनक होती है, मिठाइयों की दुकानों पर भीड़ होती है और लोग अपने प्रियजनों के लिए उपहार खरीदते हैं।

दीवाली से पहले आने वाले त्योहार — धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली), गोवर्धन पूजा, और भाई दूज — भी इस पर्व का ही हिस्सा हैं। धनतेरस के दिन लोग सोना, चाँदी या बर्तन खरीदते हैं क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। छोटी दीवाली पर घरों में दीप जलाकर बुराई और अंधकार को मिटाने की परंपरा निभाई जाती है।


💰 लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व

दीवाली की रात लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं, जबकि गणेश जी बुद्धि और सफलता के देवता हैं। इस पूजा के माध्यम से लोग अपने घर में धन, सुख और ज्ञान की स्थायी उपस्थिति की कामना करते हैं।

पूजा के बाद लोग मिठाइयाँ बाँटते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और अपने रिश्तों को और अधिक मजबूत करते हैं। यह पर्व परिवार और समाज में प्रेम, सहयोग और एकता की भावना को बढ़ाता है।


🎆 दीवाली की रात और आनंदोत्सव

दीवाली की रात को अंधेरी अमावस्या को भी रोशनी से भर दिया जाता है। चारों ओर दीपों की कतारें, रंगीन लाइटें, सजावट और खुशियों का माहौल रहता है। बच्चे आतिशबाज़ियाँ करते हैं, लोग अपने मित्रों और पड़ोसियों से मिलते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। पूरा वातावरण उत्साह और उमंग से भर जाता है।

कई जगहों पर लोग दीवाली के अवसर पर गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े, मिठाइयाँ और भोजन भी दान करते हैं। इस तरह यह त्यौहार केवल दिखावे का नहीं, बल्कि मानवता और करुणा का भी संदेश देता है।


🌿 दीवाली और पर्यावरण

हालाँकि आधुनिक समय में दीवाली के उत्सव का स्वरूप बदल गया है। अत्यधिक पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है, बल्कि पशु-पक्षियों और बुजुर्गों को भी कष्ट होता है। इसलिए हमें “ग्रीन दीवाली” का संकल्प लेना चाहिए — अर्थात् ऐसी दीवाली जिसमें हम दीप जलाएँ, परंतु पटाखों का उपयोग कम करें।

इको-फ्रेंडली दीवाली मनाने के लिए मिट्टी के दीये, प्राकृतिक रंगों से बनी रंगोली, और पुन: उपयोग में आने वाली सजावट सामग्री का उपयोग करना चाहिए। इस तरह हम परंपरा को भी निभाएँगे और प्रकृति की रक्षा भी करेंगे।


🕉️ दीवाली का आध्यात्मिक संदेश

दीवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह आत्मज्ञान और जागृति का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार को मिटाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन से नकारात्मक विचारों, अज्ञान और बुराइयों को मिटाकर ज्ञान, प्रेम और सत्य के प्रकाश को फैलाना चाहिए।

असली दीवाली तब होती है जब हम अपने भीतर के अंधकार को मिटाते हैं — जब हम दूसरों की मदद करते हैं, क्षमा करना सीखते हैं, और अपने मन को सकारात्मक बनाते हैं।


🌼 सामाजिक और आर्थिक महत्व

दीवाली भारत के आर्थिक जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस समय व्यापार, उद्योग और बाजारों में भारी रौनक होती है। व्यापारी नए खाते (खाताबही) खोलते हैं, जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहा जाता है। किसानों के लिए भी यह समय विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह फसल के सीजन के बाद आता है।

सामाजिक दृष्टि से दीवाली लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का अवसर देती है। इस दिन लोग अपने पुराने मतभेद भुलाकर आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाते हैं। यह त्योहार सामूहिक खुशी और सहयोग की भावना को मजबूत करता है।


🌻 निष्कर्ष

दीवाली वास्तव में केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को छूने वाला पर्व है — आध्यात्मिक, सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जैसे दीपक अंधकार को मिटा देता है, वैसे ही हमें अपने मन से नकारात्मकता, ईर्ष्या और घृणा के अंधकार को मिटाकर प्रेम, सद्भाव और सत्य का प्रकाश फैलाना चाहिए।

दीवाली हमें यह संदेश देती है कि सच्ची खुशी बाहर की रोशनी में नहीं, बल्कि हमारे भीतर की रोशनी में छिपी है। जब हमारा मन शुद्ध और उज्ज्वल होता है, तभी जीवन में सच्ची “दीपावली” होती है।

इसलिए आइए, इस वर्ष हम सभी “हरी-भरी और सकारात्मक दीवाली” मनाएँ — दीप जलाएँ, दिलों को रोशन करें, और अपने जीवन में प्रेम व प्रकाश का प्रसार करें। यही दीवाली का सच्चा अर्थ और संदेश है। 🌸

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